आजमगढ़ : एचआईवी एक वायरस है, जो रक्त मे पहुँच कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है- सीएमओ

Azamgarh I आजमगढ़ Uttar Pradesh। उत्तर प्रदेश पूर्वांचल न्यूज़ प्रशासन

एबी न्यूज़ संवाददाता

आजमगढ़ 21 फरवरी– मुख्य विकास अधिकारी श्री परीक्षित खटाना की अध्यक्षता में आज कलेक्ट्रेट सभागार में उ०प्र० राज्य एड्स नियंत्रण सोसायटी लखनऊ द्वारा संचालित मेन स्ट्रीमिंग के अन्तर्गत एच०आई०वी० एड्स विषय पर जनपद/ब्लाक स्तरीय उन्मुखीकरण हेतु कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ0 आईएन तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण कार्यकम नेशनल एड्स कन्ट्रोल आर्गनाइजेशन द्वारा संचालित राष्ट्रीय प्रोग्राम है, राज्य मे इस कार्यक्रम का संचालन उ०प्र० राज्य एड्स नियंत्रण सोसाइटी द्वारा किया जाता है, इस समय कार्यक्रम का 5वां चरण है, जो अप्रैल 2021 से लागू है। नेशनल एड्स कंट्रोल प्रोग्राम (NACP-V) के अनुसार 95-95-95 का लक्ष्य प्राप्त किया जाना है। चतुर्थ चरण मे यह लक्ष्य 90-90-90 था, चतुर्थ चरण मे 72 प्रतिशत लक्ष्य को प्राप्त किया गया। इस कार्यकम के अनुसार 2030 तक एचआईवी/एड्स का उन्मूलन किया जाना है, घ्यातब्य है कि उ0प्र0 के 25 उच्च एच०आई०वी० जोखिम जनपदो मे आजमगढ भी शामिल है। उन्होने कहा कि प्रथम 95 प्रतिशत के अनुसार ESTIMATED PLHIV का 95 प्रतिशत लोगो को अपना एचआईवी स्टेटस पता होना चाहिए, द्वितीय 95 के अनुसार धनात्मक पाये गये एचआईवी क्लाइंट का 95 प्रतिशत ए०आर०टी० लिंक होना चाहिए, तृतीय 95 के अनुसार ए०आर०टी० लिंक के 95 प्रतिशत का वायरल लोड सप्रेस्ड होना चाहिए।
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि इस कार्याशाला का उद्देश्य एचआईवी एड्स विषयक समुचित जानकारी जन-जन तक पहुंचाने तथा जनपद स्तर पर विभिन्न विभागों के साथ समन्वय स्थापित कर एचआईवी/एड्स मुक्त उ०प्र० बनाने के साथ ही एचआईवी/एड्स संक्रमितो के प्रति साकारात्मक व्यवहार को बढावा देना है। उन्होने कहा कि दवाओ के प्रभाव के समय एचआईवी/एड्स डी०एन०ए० मे छुप जाता है और दवाओं का प्रभाव कम होने पर पुनः सक्रिय हो जाता है, एचआईवी/एड्स को बढावा देने में सामाजिक, आर्थिक, राजनैतिक, मनोवैज्ञानिक, शारीरिक चुनौतियाँ भी जिम्मेदार है।
उन्होने बताया कि एचआईवी एक वायरस है, जो रक्त मे पहुँच कर रोग प्रतिरोधक क्षमता को कम कर देता है। यह बिमारी की एक अवस्था है, एचआईवी से एड्स बनने मे वयस्क मे 8-10 वर्ष और बच्चों में 1-1.5 वर्ष का समय लगता है। उन्होने बताया कि एचआईवी मुख्यतः 04 कारणों से हो सकता है। जिसमें किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध से, किसी एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के सुईयों एवं सिरिंज के साझा प्रयोग से, किसी संक्रमित व्यक्ति का रक्त चढाने से एवं किसी संक्रमित व्यक्ति से पैदा होने वाले बच्चे मे हो सकता है। उन्होने कहा कि उपरोक्त कारणो के प्रति जागरूक होकर एच०आई०वी० संक्रमण को रोका जा सकता है। उन्होने कहा कि एचआईवी/एड्स के कोई स्पेशल लक्षण नही होते है, इसीलिए इसे सिन्ड्रोम (लक्षणो का समूह) कहा जाता है, जो बिमारी होती है, उसी के लक्षण दिखने लगते है। इसके छोटे लक्षण में शरीर में खुजली, पूरे शरीर पर धाव, मुख और गले में खरास, पूरे शरीर मे फुंसिया, एक माह से अधिक तक खासी बने रहना, दो या तीन महीने से अधिक एक या दो जगह ग्रन्थियो मे सूजन बने रहना, आदि।
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि लोगों की मानसिकता में बसी भ्रांतियों को दूर करने की आवश्यकता है। उनको जागरूक करने की आवश्यकता है। एड्स के रोगी के पड़ोस में रहने से, एड्स रोगी के साथ खाने पीने, एक विस्तर, एक तौलिया का उपयोग करने से, स्वीमिंग पुल मे एड्स रोगी के साथ तैरने से, एक दूसरे का वस्त्र पहनने से, मच्छर काटने से एवं खांसने व छिंकने से एचआईवी नही फैलता है। उन्होने कहा कि आज भी एचआईवी/एड्स से जुडे़ भेदभाव को समाप्त करने की आवशकता है। कभी-कभी इन्हे समानता के अधिकार से वंचित होना पड़ता है। जिसके लिए एचआईवी/एड्स के प्रति सोच में बदलाव एवं भेदभाव समाप्त करने के लिए दृण इच्छा शक्ति की जरूरत है। उन्होने कहा कि एड्स आज भी असाध्य (उपचार है, किंतु निदान नही) पूर्ण एवं सही जानकारी ही इसका एक मात्र बचाव है। एचआईवी होने पर पूर्व में कुछ रक्त जाची जैसे BASELINE TEST एवं CD-4 काउन्ट के उपरांत ही इसके उपचार हेतु औषधिया दी जाती है, जिन्हे ए०आर०टी० ट्रीटमेंट कहते हैं।
मुख्य विकास अधिकारी ने कहा कि एचआईवी पीड़ित को जागरूक करें एवं उनको सावधानी बरतने हेतु प्रेरित करें तथा उनको जीवन जीने का हौसला दें। उन्होने कहा कि संबंधित अधिकारी व एनजीओ आपस में समन्वय स्थापित कर एचआईसी पीड़ितों एवं आम जनमानस को इस संबंधित जागरूक करें तथा पीड़ित से भेदभाव न करें। उन्होने कहा कि आशाओं के माध्यम से गर्भवती माताओं के लिए समय से आवश्यक व्यवस्थाएं करके उनके शिशुओं को एचआईवी संक्रमित होने से बचाया जा सकता है। उन्होने सभी से अपील किया कि एचआईसी के सम्बन्ध में लोगों में जागरूकता के माध्यम से मतभेद को समाप्त करें।
इस अवसर पर जिला क्षय रोग अधिकारी डॉ0 सुरेन्द्र सिंह, एसआईसी जिला अस्पताल आजमगढ़, सीएमएस जिला महिला अस्पताल, जिला पंचायत राज अधिकारी श्रीकान्त दर्वे, सीडीपीओ, रेड क्रास सोसायटी के प्रतिनिधि एवं संबंधित अधिकारी उपस्थित रहे।

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